सरस्वती वंदना
-: विनय कुमार पाण्डेय :-
वीणाधरे विपुल मंगल दान शीले
भक्तार्तिनाशिनी विरंचि हरीशवद्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिल मनोरथदे महार्हे
विद्या प्रदायिनी सरस्वती नौमि नित्यं।।
वीणा पुस्तक धारिणी
भवभय हरणी, जगतारिणी।
धवल विमल कमलासनी,
विधि हिय विपिन विहारिणी
जगतारिणी।
शुभ्र पटांबरी हंस सवारी।
कुन्द चन्द्र सम सुन्दर न्यारी।
जगदंबे तुम सबसे प्यारी,
तुम अविकल अविकारिणी
जगतारिणी।
सत्वगुणी हो तुम हो ब्रह्माणी।
जड़-चेतन सबकी कल्याणी।
तुम हो सबकी निर्मल वाणी,
सकल कला अधिकारिणी
जगतारिणी।
विमल बुद्धि मानस में भर दो।
जीवन पथ आलोकित कर दो।
संकट दूर करो मां वर दो
तम निशिचर संहारिणी