जय जय मां छिन्नमस्तके
अम्बिके जय जय मां छिन्नमस्तके
संकट से त्राण करो
जग का निर्माण करो
भक्तों में प्राण भरो मां।
दामोदर भैरवी का संगम वह धाम है
हरी-भरी धरती का रजरप्पा नाम है
जहां तेरे भक्तों का होता हर काम है
भक्तों में प्राण भरो मां।
सिसक रही मानवता दानवता मस्त है
संतों का साहस तो पूरी तरह पस्त है
सच्चा ईमानदार पल-पल संत्रस्त है
उनका उत्थान करो मां।
अंधों को आंख देती कोढी को काया
निर्धन धनवान बनें पा के तेरी माया
भक्तों पर पडे. नहीं दुष्टों की छाया
सबका कल्याण करो मां
जय जय मां छिन्नमस्तके।
-विनय कुमार पाण्डेय